कांगड़ा किला: वो रहस्यमयी दीवारें जो कभी नहीं टूटीं

हिमाचल प्रदेश की सुरम्य वादियों में बसा कांगड़ा किला सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि एक जीवंत गाथा है – युद्धों, प्रेम, बलिदान और रहस्य की। यह किला भारत के सबसे पुराने किलों में से एक माना जाता है, जिसकी दीवारें आज भी समय की मार को झेलते हुए अडिग खडा है । 


इतिहास की गहराइयाँ

कांगड़ा किले का निर्माण कटोच राजवंश द्वारा किया गया था, जो भारत के सबसे पुराने राजवंशों में से एक है। माना जाता है कि इस किले का अस्तित्व 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व से है। यह किला बाणगंगा और मांझी नदियों के संगम पर स्थित है, जो इसे प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करता है।
इतिहास के पन्नों में यह किला कई बार युद्धों का साक्षी बना – मुगल, अफगान, सिख, और ब्रिटिश सेनाओं ने इसे जीतने की कोशिश की, लेकिन इसकी दीवारें कभी पूरी तरह नहीं टूटीं। महमूद गजनवी ने 1009 ई. में इस पर आक्रमण किया, लेकिन किले की आत्मा को नहीं कुचल पाया।

रहस्यमयी दीवारें

कांगड़ा किले की दीवारें पत्थर की बनी हैं, लेकिन उनमें एक रहस्यमयी शक्ति है। कहा जाता है कि इन दीवारों में ऐसी मजबूती है कि भूकंप, आक्रमण और वर्षों की उपेक्षा के बावजूद ये आज भी खड़ी हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि इन दीवारों में देवी का आशीर्वाद है, जो इन्हें टूटने नहीं देता।


वास्तुकला और सौंदर्य

इस किले की वास्तुकला में राजपूती शैली, मुगल प्रभाव और स्थानीय पहाड़ी निर्माण का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। किले के भीतर लक्ष्मी नारायण मंदिर, अंबिका देवी मंदिर और शीतल माता मंदिर जैसे धार्मिक स्थल हैं, जो इसकी आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाते हैं।
किले के ऊपरी हिस्से से धौलाधार पर्वतमाला की बर्फीली चोटियाँ दिखाई देती हैं, जो दृश्य को और भी मनमोहक बना देती हैं। हर पत्थर, हर दीवार एक कहानी कहती है – कभी प्रेम की, कभी युद्ध की, कभी बलिदान की।

यात्रा का अनुभव

अगर आप इतिहास, रहस्य और प्रकृति के प्रेमी हैं, तो कांगड़ा किला आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है। सुबह के समय यहाँ आना सबसे अच्छा होता है, जब सूरज की किरणें दीवारों पर पड़ती हैं और वो सुनहरी हो जाती हैं। किले के भीतर घूमते हुए आपको ऐसा लगेगा जैसे आप समय यात्रा पर निकल पड़े हों।
यहाँ की शांति, ठंडी हवा और पुरातनता आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है। किले के पास ही कांगड़ा आर्ट म्यूज़ियम भी है, जहाँ आप स्थानीय कला और संस्कृति को करीब से देख सकते हैं

FYQ-

Q :कांगड़ा किला किसने बनवाया था?
Ans.कांगड़ा किला का निर्माण कटोच राजवंश ने करवाया था, जो भारत के सबसे पुराने राजवंशों में से एक माना जाता है। यह किला लगभग 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व में अस्तित्व में आया था।

Q:कांगड़ा किला इतना प्रसिद्ध क्यों है?
Ans.यह किला भारत का सबसे पुराना किला होने के साथ-साथ अजेय दीवारों, पौराणिक कथाओं, और इतिहास में दर्ज युद्धों के लिए प्रसिद्ध है। इसकी दीवारें कई आक्रमणों के बावजूद कभी पूरी तरह नहीं टूटीं।

Q.कांगड़ा किले की दीवारें रहस्यमयी क्यों मानी जाती हैं?
Ans.स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इन दीवारों में देवी अंबिका का आशीर्वाद है। यही कारण है कि भूकंप, युद्ध, और समय की मार के बावजूद ये दीवारें आज भी खड़ी हैं।

Q.कांगड़ा किले में देखने लायक क्या है?
Ans. लक्ष्मी नारायण मंदिर ,अंबिका देवी मंदिर ,शीतल माता मंदिर ,धौलाधार पर्वतमाला का दृश्य,पुरातन वास्तुकला और ,राजपूती शैली की दीवारें

Q.कांगड़ा किला घूमने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
Ans. मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच का समय सबसे अच्छा माना जाता है। सुबह के समय जाना बेहतर होता है, जब सूरज की किरणें दीवारों पर पड़ती हैं और दृश्य स्वर्णिम हो जाता है।

Q.क्या कांगड़ा किला किसी पौराणिक कथा से जुड़ा है?
Ans.हाँ, मार्कंडेय पुराण में वर्णित रक्तबीज वध की कथा इस क्षेत्र से जुड़ी है। माना जाता है कि देवी अंबिका ने इसी स्थान पर रक्तबीज का वध किया था, जिससे यह स्थान धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण बन गया।

Q.कांगड़ा किला कितनी बार आक्रमण का शिकार हुआ है?
Ans.इतिहास में यह किला महमूद गजनवी, मुगल बादशाहों, अफगानों, सिखों, और ब्रिटिश सेनाओं द्वारा कई बार निशाना बनाया गया। लेकिन इसकी दीवारें कभी पूरी तरह ध्वस्त नहीं हुईं।

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