सोमनाथ मंदिर पर बार-बार हमला क्यों हुआ? – एक रहस्य, एक संघर्ष, एक पुनर्जन्म

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित सोमनाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है — यह आस्था, संस्कृति और संघर्ष का प्रतीक है। लेकिन सवाल उठता है: आख़िर इस मंदिर को इतिहास में बार-बार निशाना क्यों बनाया गया? क्या ये सिर्फ लूटपाट थी या इसके पीछे कोई गहरा उद्देश्य छुपा था?
सोमनाथ मंदिर का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व

सोमनाथ मंदिर पर बार-बार हमला क्यों हुआ

  • यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला है — यानी शिव के सबसे पवित्र रूपों में से एक।
  • स्कंदपुराण, शिवपुराण और श्रीमद्भागवत जैसे ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।
  • कहा जाता है कि चंद्रदेव ने इसका पहला निर्माण किया था — सोने से।
  • बाद में रवि ने चांदी से, श्रीकृष्ण ने चंदन से, और राजा भीमदेव ने पत्थरों से इसका पुनर्निर्माण कराया।
यह मंदिर सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र भी था। अरब, फारस और मध्य एशिया के व्यापारी यहाँ आते थे। यही समृद्धि इसे आक्रांताओं की नजर में लाती रही।
17 बार विध्वंस — हर बार एक नया कारण

और पढे -भगवान शिव का वो मंदिर जिसकी छाया गायब हो जाती है — रहस्य या विज्ञान?

महमूद गजनवी का हमला (1026 ई.)

गजनवी ने भारत पर 17 बार हमला किया, लेकिन सोमनाथ पर उसका हमला सबसे चर्चित रहा।
उसने मंदिर की संपत्ति लूटी, शिवलिंग को तोड़ा और इसे तहस-नहस कर दिया।

यह सिर्फ लूट नहीं थी — यह हिंदू आस्था पर हमला था। एक संदेश कि भारत अब मुस्लिम आक्रांताओं के अधीन है।

दिल्ली सल्तनत का हमला (1297 ई.)

  • जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्जा किया, मंदिर को फिर से ध्वस्त किया गया।
  • यह एक राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन था — बहुसंख्यक हिंदू आबादी को दबाने का तरीका।

अलाउद्दीन खिलजी और औरंगजेब के हमले

खिलजी ने इसे बर्खास्त किया, औरंगजेब ने 1706 में इसे पूरी तरह नेस्तनाबूत करने का आदेश दिया।
औरंगजेब का मकसद इस्लाम का प्रचार और हिंदू प्रतीकों का विनाश था।

ब्रिटिश काल और चंदन द्वार की वापसी

1842 में ब्रिटिश सेनाओं ने अफगानिस्तान में गजनवी की मजार से सोमनाथ मंदिर के लूटे गए चंदन द्वार वापस लाए।

यह एक प्रतीकात्मक कदम था — भारत की खोई हुई विरासत को वापस लाने की कोशिश।

हर बार पुनर्निर्माण — आस्था की जीत

  • राजा भीम और भोज ने गजनवी के बाद पुनर्निर्माण कराया।
  • वल्लभी के यादव, गुर्जर प्रतिहार, चालुक्य, सौराष्ट्र के राजा महीपाल — सभी ने इसे बार-बार बनवाया।
  • स्वतंत्रता के बाद सरदार पटेल ने इसके पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दी।
  • पंडित नेहरू ने इसका विरोध किया, लेकिन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने उद्घाटन किया।

निष्कर्ष

सोमनाथ मंदिर पर बार-बार हुए हमले सिर्फ इतिहास नहीं हैं — वे आज भी हमारे समाज, राजनीति और धर्म की सोच को प्रभावित करते हैं। यह मंदिर एक reminder है कि आस्था को मिटाया नहीं जा सकता। हर बार जब कोई इसे तोड़ता है, कोई न कोई इसे फिर से बनाता है।

FYQ-

Q. सोमनाथ मंदिर को बार-बार क्यों तोड़ा गया?

Ans. क्योंकि यह हिंदू आस्था, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक था। आक्रांताओं के लिए इसे तोड़ना एक राजनीतिक और धार्मिक विजय का प्रतीक था।

Q. क्या सिर्फ मुस्लिम शासकों ने इसे निशाना बनाया?

Ans. मुख्यतः हाँ, लेकिन ब्रिटिश काल में भी इसे राजनीतिक रूप से इस्तेमाल किया गया। हर युग में यह मंदिर सत्ता की लड़ाई का केंद्र रहा।

Q. क्या मंदिर की संपत्ति आज भी सुरक्षित है?

Ans. कई बार लूटे जाने के बावजूद, आज का मंदिर भव्य है। लेकिन पुरानी संपत्ति का बड़ा हिस्सा खो चुका है।

Q. क्या मंदिर के नीचे कोई गुप्त सुरंग या रहस्य है?

Ans. ऐसी कोई पुष्टि नहीं है, लेकिन स्थानीय मान्यताओं में कई रहस्यमयी बातें कही जाती हैं।

Q. क्या सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण राजनीतिक था?

Ans. सरदार पटेल ने इसे राष्ट्रीय गौरव के रूप में देखा, जबकि नेहरू ने इसे सेक्युलरिज़्म के खिलाफ माना। यह बहस आज भी जारी है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.