जैसलमेर का सोनार किला – एक रहस्य जो आज भी जीवित

परिचय

राजस्थान के थार रेगिस्तान में स्थित जैसलमेर का सोनार किला भारत के सबसे प्राचीन और रहस्यमयी किलों में से एक है। इसे "सोनार किला" इसलिए कहा जाता है क्योंकि सूर्यास्त के समय यह पीले बलुआ पत्थर से बना किला सोने की तरह चमकता है। लेकिन इसकी खूबसूरती के पीछे छुपा है एक ऐसा रहस्य जो 900 सालों से अनसुलझा है।

जैसलमेर का सोनार किला

इतिहास की झलक

इस किले का निर्माण 1156 ई. में भाटी राजपूत राजा रावल जैसल ने करवाया था। यह किला त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है और चारों ओर से विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। इसमें 99 बुर्ज हैं जो इसे एक दुर्ग की तरह सुरक्षा प्रदान करते हैं।

रहस्य क्या है?

 किले में आज भी लोग रहते हैं

यह भारत का एकमात्र ऐसा किला है जिसमें आज भी हजारों लोग रहते हैं — बिना किसी किराए के। उनके घर पीढ़ियों से इसी किले के भीतर बने हुए हैं। दीवारों पर कपड़े सूखते हैं, बच्चे खेलते हैं, और लोग शादी-ब्याह की तैयारियाँ करते हैं। यह एक जीवित किला है।

शादी के कार्ड दीवारों पर पेंट होते हैं

यहाँ की एक अनोखी परंपरा है — जब किसी घर में शादी होती है, तो उसका निमंत्रण कार्ड दीवार पर पेंट कर दिया जाता है। कोई भी व्यक्ति उस कार्ड को देखकर शादी में शामिल हो सकता है, बिना आमंत्रण के।

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दीवारों के किनारे का रहस्य

किले की कुछ दीवारें ऐसी हैं जिनके किनारे पर आज तक कोई नहीं गया। वहाँ क्या है, क्यों वहाँ जाना मना है — यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उस हिस्से को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है।

किले में बने मंदिर और हवेलियाँ

किले के भीतर कई प्राचीन मंदिर हैं, जैसे लक्ष्मीनाथ मंदिर और जैन मंदिर। इनकी दीवारों पर की गई नक्काशी इतनी बारीक है कि आज भी विशेषज्ञ हैरान हैं कि बिना आधुनिक औजारों के यह कैसे संभव हुआ।

स्थापत्य और संस्कृति

सोनार किला राजस्थान की स्थापत्य कला, संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण है। यहाँ की हवेलियाँ, गलियाँ, और पत्थरों पर की गई नक्काशी पर्यटकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाती हैं। सूर्यास्त के समय जब किला सोने की तरह चमकता है, तो यह दृश्य किसी स्वप्नलोक से कम नहीं लगता।

धार्मिक महत्व

किले के भीतर बने जैन मंदिरों में 12वीं और 15वीं शताब्दी की मूर्तियाँ हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर की गई नक्काशी और चित्रण आज भी वैसा ही है जैसा सदियों पहले था। यह स्थान न सिर्फ ऐतिहासिक बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

पर्यटन और अनुभव

यहाँ हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। किले के भीतर बने रेस्टोरेंट्स और रिसॉर्ट्स में बैठकर आप पूरे जैसलमेर शहर का नज़ारा ले सकते हैं। यहाँ की लोककथाएँ, संगीत, और रेगिस्तानी जीवनशैली पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं |

FAQ-

Q. सोनार किला को "सोनार" क्यों कहा जाता है?
A: क्योंकि सूर्यास्त के समय यह पीले पत्थर से बना किला सोने की तरह चमकता है

Q. क्या इस किले में आज भी लोग रहते हैं?
A: हाँ, यह भारत का एकमात्र ऐसा किला है जिसमें आज भी हजारों लोग बिना किराए के रहते हैं।

Q. दीवारों पर शादी के कार्ड क्यों पेंट किए जाते हैं?
A: यह एक परंपरा है जिससे कोई भी व्यक्ति शादी में शामिल हो सकता है, आमंत्रण के बिना

Q. क्या किले का कोई हिस्सा रहस्यमयी है?
A: हाँ, कुछ दीवारों के किनारे ऐसे हैं जहाँ आज तक कोई नहीं गया और वह क्षेत्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है

Q. इस किले का निर्माण किसने करवाया था?
A: भाटी राजपूत राजा रावल जैसल ने 1156 ई. में इसका निर्माण करवाया था

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