कोहिनूर -- भारत का सबसे रहस्यमयी हीरा

कुछ चीज़ें सिर्फ वस्तुएं नहीं होतीं -वे इतिहास की धड़कन बन जाती हैं। कोहिनूर ऐसा ही एक हीरा है, जो भारत की मिट्टी से निकला, लेकिन आज तक भारत की मुट्ठी से बाहर है। इसकी चमक जितनी तेज है, उतना ही गहरा है इसका रहस्य |

यह सिर्फ एक रत्न नहीं, बल्कि सत्ता, लालच, युद्ध और दुर्भाग्य की कहानी है।

kohinur

इतिहास की परतों में छिपा कोहिनूर

कोहिनूर का उल्लेख सबसे पहले 13वीं शताब्दी में मिलता है। यह हीरा दक्षिण भारत के गोलकुंडा की खान से निकला था। उस समय इसे "साम्राज्य का गौरव" माना जाता था। इसके बाद यह मुगलों, अफगानों, सिखों और अंततः अंग्रेजों के हाथों में गया। हर बार जब यह किसी शासक के मुकुट में जड़ा गया, तबाही उसके दरवाज़े पर दस्तक देने लगी।

बाबर ने इसे अपने खज़ाने में रखा, लेकिन उसके बाद हुमायूं, अकबर, और शाहजहाँ के समय में भी सत्ता संघर्ष बढ़ता गया।

नादिर शाह ने इसे लूटकर ईरान ले गया, लेकिन उसका अंत भी हिंसक हुआ।

महाराजा रणजीत सिंह ने इसे सिख साम्राज्य का गौरव बनाया, लेकिन अंग्रेजों ने उसे हराकर हीरा छीन लिया।

इतिहास के पन्नों में कोहिनूर की यात्रा एक रक्तरंजित मार्ग की तरह दिखती है — जहां भी यह गया, वहां सत्ता डगमगाई, युद्ध हुए, और अंततः विनाश हुआ।

Read More-ग्यानगंज – अमर साधुओं की रहस्यमयी दुनिय

श्राप की कहानी

भारतीय लोककथाओं में कहा जाता है कि कोहिनूर को कोई पुरुष नहीं पहन सकतायह विनाश लाता है। यही कारण है कि ब्रिटिश राजघराने ने इसे महारानी के मुकुट में जड़वायाआज तक कोई पुरुष इसे पहनने की हिम्मत नहीं करता

यह मान्यता सिर्फ एक मिथक नहीं है

इतिहास में इससे जुड़े शासकों का दुखद अंत इस मान्यता को बल देता है। बाबर, नादिर शाह, रणजीत सिंह — सभी का अंत या तो युद्ध में हुआ या सत्ता के पतन में।

ब्रिटिशों ने इसे महारानी विक्टोरिया के मुकुट में जड़वाया, और तब से यह परंपरा बनी रही कि केवल रानी ही इसे पहन सकती है। शायद वे भी इस शाप से डरते हैं।

क्या यह सिर्फ संयोग है?

इतिहास में संयोगों की भरमार होती है, लेकिन जब एक ही वस्तु से जुड़े हर शासक का अंत दुखद हो - तो सवाल उठते हैं। क्या कोहिनूर सच में शापित है? या यह सिर्फ सत्ता के लालच और युद्धों का परिणाम है?

कुछ इतिहासकार मानते हैं कि यह सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव है — जब कोई वस्तु दुर्भाग्य से जुड़ जाती है, तो हर घटना उसी नजरिए से देखी जाती है। लेकिन दूसरी ओर, जब इतने सारे उदाहरण एक ही दिशा में इशारा करें तो क्या उसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है?

आज की स्थिति

कोहिनूर आज ब्रिटेन के टॉवर ऑफ लंदन में रखा गया है। भारत ने कई बार इसे वापस मांगने की कोशिश की, लेकिन हर बार जवाब यही मिला — "यह कानूनी रूप से ब्रिटेन का हिस्सा है।"

ब्रिटिश सरकार का कहना है कि कोहिनूर उन्हें रणजीत सिंह द्वारा सौंपा गया था, लेकिन भारत का तर्क है कि यह जबरन छीना गया थायह विवाद आज भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठता है, लेकिन समाधान दूर की बात लगती है।

भारत की भावनाएं

कोहिनूर सिर्फ एक हीरा नहीं है — यह भारत की सांस्कृतिक विरासत, आत्मसम्मान और इतिहास का प्रतीक है। जब भी इसकी चर्चा होती है, भारतीयों के मन में एक टीस उठती है। यह टीस सिर्फ खोए हुए रत्न की नहीं, बल्कि उस अपमान की है जो औपनिवेशिक काल में भारत ने झेला

FAQ-
प्रश्न 1: कोहिनूर सबसे पहले कहां पाया गया था?
उत्तर: यह हीरा गोलकुंडा की खान से निकला था, जो आज के तेलंगाना राज्य में स्थित है।

प्रश्न 2: कोहिनूर को आखिरी बार भारत में किसने पहना था?
उत्तर
: महाराजा रणजीत सिंह ने इसे अपने मुकुट में सजाया था।

प्रश्न 3: क्या कोहिनूर सच में शापित है?
उत्तर
: यह एक मान्यता है कि पुरुषों द्वारा पहना गया कोहिनूर विनाश लाता है। इतिहास में इससे जुड़े शासकों का दुखद अंत इस मान्यता को बल देता है।

प्रश्न 4: आज कोहिनूर कहां है?
उत्तर
: यह ब्रिटेन के टॉवर ऑफ लंदन में रखा गया है, और ब्रिटिश राजघराने के मुकुट का हिस्सा है।

प्रश्न 5: क्या भारत को कोहिनूर वापस मिल सकता है?
उत्तर
: भारत ने कई बार मांग की है, लेकिन ब्रिटेन ने इसे कानूनी रूप से अपना बताया है। फिलहाल इसकी वापसी की कोई संभावना नहीं दिखती।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.