नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत का रहस्य
क्या सच में 18 अगस्त 1945 को उनकी मृत्यु हुई थी या इसके पीछे कोई और रहस्यमयी कहानी है?18 अगस्त 1945 – बताया गया कि नेताजी जिस प्लेन से ताइहोकू जा रहे थे, वह क्रैश हो गया। उन्हें गंभीर जलन की चोट आई और अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
इसके बाद कई रिपोर्टें और गवाह सामने आए, लेकिन सबकी कहानियाँ एक जैसी नहीं थीं।
1956 में जापान सरकार की रिपोर्ट आई, जिसमें मौत की पुष्टि की गई, लेकिन इसे दशकों तक छुपाया गया।
1999 में मुकर्जी आयोग बना, जिसने कहा कि मौत का ठोस सबूत नहीं है।
2015 के बाद भारत सरकार ने नेताजी से जुड़ी कुछ गोपनीय फाइलें सार्वजनिक कीं।
क्या आधिकारिक रिपोर्ट कहती हैं?
जापानी सरकार की रिपोर्ट और अस्पताल के रिकॉर्ड यही बताते हैं कि नेताजी की मौत प्लेन क्रैश में हुई। शुरुआती गवाहों ने भी यही बयान दिए।और पढे - केलाश पर्वत का रहस्य
मुकर्जी आयोग की रिपोर्ट
1999 से 2005 तक चले इस आयोग ने कहा कि सबूत पर्याप्त नहीं हैं। आयोग का मानना था कि यह संभव है कि नेताजी किसी तरह बच निकले हों। लेकिन सरकार ने यह रिपोर्ट स्वीकार नहीं की।रहस्य और विवाद
रेन्कोजी मंदिर की राख – जापान के एक मंदिर में रखी राख को नेताजी की बताई जाती है, लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि वह किसी और की हो सकती है।गुमनामी बाबा थ्योरी – फैज़ाबाद (उत्तर प्रदेश) में रहने वाले एक साधु को लोग नेताजी मानते रहे। उनके पास मिले कागजों और सामान ने शक को और बढ़ाया, लेकिन ठोस प्रमाण कभी नहीं मिले।
गुप्त फाइलें – भारत सरकार ने धीरे-धीरे कुछ फाइलें खोलीं, लेकिन आज भी पूरी सच्चाई साफ नहीं है।
दोनों पक्षों के तर्क
प्लेन क्रैश सही होने के सबूतजापानी रिपोर्ट और अस्पताल रिकॉर्ड।
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही।
प्लेन क्रैश गलत होने के सबूत
गवाहों की कहानियों में फर्क।
राख और गुमनामी बाबा को लेकर उठे सवाल।
मुकर्जी आयोग का नतीजा कि सबूत अधूरे हैं।
निष्कर्ष
नेताजी की मौत भारत का सबसे बड़ा रहस्य है। आधिकारिक तौर पर कहा जाता है कि वे 1945 में ही शहीद हो गए थे, लेकिन कई लोग मानते हैं कि वह बचे थे और बाद में गुप्त जीवन जीते रहे। असलियत आज भी इतिहास की किताबों में अधूरी रह गई है।Question
1. क्या नेताजी सच में 18 अगस्त 1945 को प्लेन क्रैश में मारे गए थे?
Ans. आधिकारिक रिपोर्ट यही कहती है कि ताइहोकू (अब ताइपे) में जापानी प्लेन क्रैश हुआ और नेताजी बुरी तरह झुलस गए। अस्पताल में कुछ ही घंटों बाद उनकी मृत्यु हो गई। जापानी रिपोर्ट और कुछ गवाहों ने इसे पुष्टि भी दी थी।
2. अगर ऐसा है तो फिर रहस्य क्यों बना हुआ है?
Ans. क्योंकि कई गवाहों की कहानियों में फर्क है। कुछ कहते हैं कि उन्होंने नेताजी को अस्पताल में जिंदा देखा, कुछ मानते हैं कि उन्हें कहीं और ले जाया गया। यही विरोधाभास इस रहस्य को और गहरा करता है।
3. रेन्कोजी मंदिर की राख किसकी है?
Ans. जापान के टोक्यो में रेन्कोजी मंदिर में जो राख रखी गई है, उसे नेताजी की बताई जाती है। लेकिन इस पर विवाद रहा। कई शोधकर्ताओं का कहना है कि यह राख किसी और की भी हो सकती है। डीएनए टेस्ट की माँग कई बार हुई, लेकिन कभी पूरी तरह नहीं हुई।
4. गुमनामी बाबा कौन थे और क्या उनका नेताजी से संबंध था?
Ans. फैज़ाबाद (उत्तर प्रदेश) में गुमनामी बाबा नाम से एक रहस्यमय साधु रहते थे। उनके पास से नेताजी से जुड़े कई सामान और दस्तावेज़ मिले। कुछ लोग मानते हैं कि वही असली नेताजी थे, लेकिन सरकार और आयोग इस पर सहमत नहीं हुए। अब भी यह रहस्य बना हुआ है।
5. आज तक यह रहस्य क्यों नहीं सुलझा?
Ans. सबसे बड़ी वजह है – अधूरे सबूत और राजनीतिक चुप्पी। भारत सरकार ने समय-समय पर कुछ फाइलें खोलीं, लेकिन निर्णायक प्रमाण कभी सामने नहीं आए। मुकर्जी आयोग ने भी कहा कि मौत का ठोस सबूत नहीं है। इसी वजह से नेताजी की मौत का सच आज भी अनसुलझा है।